बढ़ा के एक कदम...

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ग़ज़ल  बढ़ा के एक क़दम और दरिया पार होगा नहीं..  इश्क़ कर बैठे है हम..  अब प्यार होगा नहीं..  कल कहता है कल मै ही ठहर जाये हम..  जो चेहरा नज़र ...

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