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मेहनत कितनी ही करके देख लो मुस्कराने की, दो शब्द ही काफ़ी हैं तोड़ गिराने के लिए... अहसासों का बोझ तो अब मुझसे नहीं उठाया जाता, हर लम्हा ज़िंद का बोझ ...