रसखान रत्नावली (सवैया -156)

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कीजै कहा जु पै लोग चबाव  सदा करिबौ करि हैं बजमारौ।  सीत न रोकत राखत कागु  सुगावत ताहिरी गावन हारौ।  आव री सीरी करैं अँखिया  रसखान धनै धन भाग हमारौ। आवत ...

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