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तुम बिन साजन तुम बिन साजन दिवस नुकीले, सुई-चुभन सी रातें हैं। मधुर बोल कोई भी बोले, खट्टी लगतीं बातें हैं।। नहीं बहारें अच्छी लगतीं, बिन सुगंध के पुष्प लगें। बूँदें ...