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जीती हुई बाज़ी हमनें पल भर में हारी है, ग़म सदके में लेकर खुशियाँ अपनी वारी हैं। जिसके झूठ को भी हम सच मान बैठे "निक्क"! उस पर भरोसा करके ज़िन्दगी ...