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मैंने उस पर मोहर लगाई और थैला दे दिया। फिर मैं इत्मिनान से अजमेर को चला गया। जब मैं वहां से बापस लौटा तो मैंने सोचा मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी बच्चो ...