लेखनी गजल

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बर्बाद होकर भी सनम लिखते है तुम्हें जान करके शरम लिखते है बची है छटपटाहट मौत के वक्त सी पहले से ही कहानी खत्म लिखते है पढ़ते हुये मुस्कुरायेंगे होंठ सबक़े ...

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