कैकेई संताप -14-Apr-2023

1 Part

286 times read

15 Liked

कविता-कैकेई संताप रोके रुके न  नीर नयन से ,  राम चले जब छोड़ भवन से जड़ चेतन हो शून्य चले थे, क्या कहे कौन हो मूक बने थे दु:ख को सहे ...

×