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शीर्षक- कभी ना मानो हार एक कौवा प्यासा था इधर इधर भटक रहा, पानी कहीं न मिला। आकाश में भरी उड़ान, देखा सारा जहान, देखा उसने एक मैदान। मैदान के पास ...