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तुम्हारी लिखीं कविताएं क्या हैं जानते हो ...... नहीं न तो सुनो बिना पते की चिट्ठी जो मुझ तक आ पहुँचीं मुझे ढूंढ कर जैसे मैं ही उनका सही पता हूँ ...