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स्वैच्छिक कविता पूर्ण समर्पण है मेरा...💙 नहीं चाहती नागपाश में जकड़ के तुमको रख लेना, नहीं चाहती तेरे स्वप्न को ,खंडित-खंडित कर देना। मेरा प्रेम यह स्वार्थ नहीं है,भाव समर्पित है ...