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कविता -मुलाकात चलता गया चलता रहा मिलता रहा हर लोग से, जीवन सफ़र कटता रहा मुड़ता गया हर मोड़ पे, जितने मिले जैसे मिले अपने मिलें या गैर हो, कहता गया ...