अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है

83 Part

43 times read

0 Liked

अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है  ये समर उस शजर की पूँजी है  आह को मत हक़ीर जान यही  दूदमान-ए-असर की पूँजी है  जो घड़ी याद में तिरी कट जाए  वो ही ...

Chapter

×