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संगी बिन,जीवन है;सूना। हिमाँशु पाठक संगी बिन,जीवन है;सूना। दुष्कर होता; समय का कटना।। किससे अब, मैं करूं लड़ाई, किससे अब मैं करूं ठिठाई? किसके कांधे पर सिर रखकर, अपने नयन के ...