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कलम थकती नहीं हैं, तारीफ मैं जिस शहर की,, आरज़ू हैं देखने की उस शहर को... हर एक बंदे बशर की... किसी ने जन्नत का किसी ने मोहब्बत का. ख़िताब दिया ...