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तीरगी से जंग थी ख़ामोश ही जलता रहा। उम्र भर मै इल्म की बस रोशनी करता रहा।। बाबाँट कर ख़ुशियाँ जहाँ को दर्द खुद पीता रहा। इस तरह मुर्शिद मेरे मै ...