जय शंकर प्रसाद की श्रेष्ट कहानिया

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बालिका की अवस्था 15 वर्ष की थी। आलोक से उसका अंग अँधकार घन में विद्युल्लेखा की तरह चमक रहा था। यद्यपि दरिद्रता ने उसे मलिन कर रखा है , पर ईश्वरीय ...

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