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.कहानीःमेरे सामने वाली खिड़की में ★★★★★★★★★★★★★★ मेरी नजर अपने सामने वाली खिड़की कहिये या रोशनदान.., उसी पर टिकी हुई थी। मैं बारबार कुर्सी से उठती और उस सामने वाली खिड़की पर ...