चतुरसेन जी का महान उपन्यास - देवांगना

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सम्राट् की आज्ञा से 4600 विहार नष्ट कर दिये गये। दो लाख 60 हज़ार भिक्षु - भिक्षुणियों को गृहस्थ बना दिया गया। 40 हज़ार मन्दिर ढहा दिए गए। दस लाख एकड़ ...

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