चतुरसेन जी का महान उपन्यास - देवांगना

62 Part

29 times read

0 Liked

उन्होंने मन्त्र पाठकर पवित्र जल उसके मस्तक पर छिड़का , और कहा —" तुम पाप मुक्त हो गए , अब बाहर जाओ। "   " यह क्या आचार्य , अभी तो ...

Chapter

×