चतुरसेन जी का महान उपन्यास - देवांगना

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इसी बीच मंजु की मूर्छा जागी। उसने देखा - कापालिक भयानक आँखों से उसी की ओर देख रहा है। वह चीख मारकर दिवोदास से लिपट गई।   कापालिक ने अट्टहास करके ...

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