चतुरसेन जी का महान उपन्यास - देवांगना

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24. बन्दी गृह में : देवांगना चारों अपराधियों का विचार हो रहा था। उच्च स्वर्ण - पीठ पर आचार्य वज्रसिद्धि , सिद्धेश्वर और काशिराज उपस्थित थे। सम्मुख चारों अपराधी रस्सियों से ...

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