लेखनी कविता -30-Apr-2023

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दिनांक :30 /04 /२०२३ शीर्षक :गंगा भी कितने पाप धोएगी.... जिस गति से अब पृथ्वी पर  बढ़ते जा रहे हैं अनाचारी..  कहां संभव होगा कि  गंगा का निर्मल पावन जल  धो ...

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