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इतने कदम चलूं कि चल चल के थक जाऊं कितना और चलूं कि मैं तुमको पा जाऊं। कैसे भावों को मर्यादा पहनाऊँ मैं कैसे प्रेमी से साधू भी बन जाऊं मैं ...