मजदूर

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मजदूर! नहाने   वाले  तो   रोज  रोशनी   में  नहाते   हैं, बेचारे  मजदूर  चराग  के लिए  तरस  जाते  हैं। इनकी  उम्मीद  की शाखों  पे फूल खिलते नहीं, अपने  खून-पसीने  से जहां का बोझ  ...

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