1 Part
761 times read
9 Liked
मजदूर! नहाने वाले तो रोज रोशनी में नहाते हैं, बेचारे मजदूर चराग के लिए तरस जाते हैं। इनकी उम्मीद की शाखों पे फूल खिलते नहीं, अपने खून-पसीने से जहां का बोझ ...