बात मेरे स्वाभिमान की थी,

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कब तक चार लोगों की बातों से डरते, हम पत्थर नहीं बनते तो क्या करते। आखिरकार बात मेरे स्वाभिमान की थी, हम कब तक अपनी सफ़ाई दिया फिरते।। ...

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