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उन दिनों कइयों से बिल्लेसुर कह चुके, मर्द से औरत होना अच्छा। कोई नहीं समझा। बिल्लेसुर सूखे होठों की हार खाई हँसी हँसकर रह गये। गाँव में भी बिल्लेसुर की बरदाश्त ...