बिल्लेसुर बकरिहा–(भाग 16)

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पुरी पहुँचकर बहुत खुश हुए।  ऐसा दृश्य कानपुर से बर्दवान तक न देखा था।  समन्दर का किनारा––बालू के दूह––देखकर बहुत खुश हुए, समुद्र देखकर जामे से बाहर हो गये।  जगन्नाथ जी ...

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