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उड़ान बन चकोर जैसी मैं भी उड़ जाऊंगी, हर आसमा को मैं भी छू जाऊंगी, धरती का सीना चीर के , आसमान के हर दरवाजे को तोड़ कर, समाज की जंजीरों ...