बिल्लेसुर बकरिहा–(भाग 42)

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बिल्लेसुर को कुछ विश्वास हुआ। लेकिन रुपये की सोचकर कटे।  लड़की के रूप का मोह भी घेरे था, सैकड़ों कलियाँ चटक रही थीं,  खुशबू उड़ रही थी, पर त्रिलोचन पर पूरा-पूरा ...

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