बिल्लेसुर बकरिहा–(भाग 56)

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बिल्ले सुर की बाछें खिल गईं।  विनम्र भाव से कहा, माँ-बाप का कहना सभी मानते हैं, जैसी आज्ञा होगी, कहने में मुझे ऐतराज़ न होगा। सासजी ने तृप्ति की साँस छोड़ी। ...

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