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शायरी सूरज की किरणो को पाकर , कलियां, मंद-मंद मुस्का रही । खोलकर अपनी नन्ही पंखुड़ियां पूरे बग़ीचे को, अपनी खूशबू से महका रही। कोमल खत्री ...