लेखनी प्रतियोगिता -08-May-2023

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सखि, ये मन शैतान बड़ा है  चंचल पवन के जैसे ये मन  निर्मुक्त सा गगन में उड़ा है  सखि, ये मन शैतान बड़ा है  इक पल भी कहीं ठहर न पाये  ...

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