1 Part
318 times read
10 Liked
बदलता मौसम- बाहर से भीतर तक पल-पल धधकता चैत आज कल सबको बेचैन और अधमरा कर फेंक देता है शाम की ढ़लती कुछ-कुछ अंधेरी कोठरी में अपनी मनमानियों को बेलगाम करके ...