चोटी की पकड़–30

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एक ठुमरी गाई :- "जाने दे मोको सुनो सजनवा, काहे करत तुम नित नित मोसन रार, नहीं, नहीं मानूँगी तिहार। छेड़ करत, नहीं मानत देखो री सखि, मेरी सुनै ना, बिंदा ...

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