चोटी की पकड़–49

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मुन्ना चली, पीछे-पीछे जमादार। समझ गए कि खिड़की के रास्ते निकलकर रुस्तम इससे कह आया। भेद खुल जाने पर क्या होगा, सोचकर घबराए। चारा न था। चारों तरफ से गसे हुए ...

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