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इसी समय उनके भाग्य के आकाश पर दूसरा तारा चमका। एजाज के मकान से चलकर यूसुफ राजधानी आए और बाजार में ठहरे। भेस बदले हुए थे। प्रभाकर को देखकर चौंके; दुकान ...