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"प्रभाकर ही आपसे मिलेगा।" राजा साहब को ताल कटती हुई-सी जान पड़ी। हृदय में कोई रो उठा, मगर बैठे रहे। प्रभाकर ने बिदा माँगी। देर हो गई थी। उसके साथी अभी ...