शोभा

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शीत-शोभा ठिठुरन से भरी शाम जब बर्फीली होती है, धधकती आँच भी तब आग की शर्मीली होती है। आसमाँ साफ-निर्मल-स्वच्छ,चाहे रहे जितना- पर धूप सूरज की भी बड़ी शर्दीली होती है।। ...

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