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जटाशंकर तके हुए थे। रामरतन पहरे पर टहल रहा था। क्या हो रहा है, क्या नहीं, इसकी उसको खबर न थी। खजानची ने चुपचाप बीजक निकालकर जेब में किया और संदूक ...