चोटी की पकड़–93

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"जाहिद, शराबेनाज से जब तक वजू न हो, काबिल नमाज पढ़ने के मसजिद में तू न हो। पहलू से दिल जुदा हो तो कुछ गम नहीं मुझे, ऐ द - दिल ...

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