चोटी की पकड़–102

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मैंने कहा जात की है, कहीं बैठ जा, या बैठा ले। राम दोहाई, आँख झप जाती है जब देखता हूँ, तेरे लिए बारोमहीने कातिक है। सिपाही कुत्ते जैसे पीछे लगे रहते ...

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