पत्थर

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हाँ सोचता था मै तुम्हारी राह के पत्थर हटा दूं!  जो रुके पलकों पे तेरी अश्रु हाथों से मिटा दूँ!  किंतु चाहकर कभी भी मै तो ऐसा कर ना पाया!  था ...

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