चोटी की पकड़–116

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पौ फटते पहुँचे। बुआ जग गई थीं। स्नान से निवृत्त हो चुकी थीं, दिन-भर घर से बाहर न निकलती थीं।  एक साधारण जमींदार ने जगह दी थी। बाँस के घेरे में ...

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