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विषय- स्वैच्छिक शीर्षक-प्यार का शक्ल तेरा सुरूर, चढ़ रहा है धीरे-धीरे , तू गैर होकर भी , मेरा हो रहा है धीरे-धीरे ! यकीन है मुझे तु भी तड़पता होगा , ...