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मैं रहती हूँ बेफिक्र लम्हों की उड़ती तितलियाँ बन मैं रहती हूँ फिक्रमंद लम्हों की सहेजती गृहणियाँ बन मैं रहूँगी अब सहज लम्हों की उभरती हुई परछाइयाँ बन ©उषा शर्मा ✍️ ...