लेखनी प्रतियोगिता -21-May-2023

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मैं रहती हूँ बेफिक्र  लम्हों की उड़ती  तितलियाँ बन मैं रहती हूँ फिक्रमंद  लम्हों की सहेजती  गृहणियाँ बन मैं रहूँगी अब सहज  लम्हों की उभरती हुई परछाइयाँ बन ©उषा शर्मा ✍️  ...

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