दिल के जख्म

1 Part

234 times read

4 Liked

एक स्वरचित ग़ज़ल आप सभी के समक्ष ...................... दिल के कुछ ज़ख्म दिल के कुछ ज़ख्म हैं नासूर बहुत मैं उन ज़ख्मों को भरना चाहता हूँ वक्त किरदार दे गया मुझको ...

×