पृथ्वी का दुःख सन्ताप हरें

1 Part

247 times read

11 Liked

पृथ्वी का दुःख सन्ताप हरें         नदियों तालाबों को भरकर       हमने ऊँचे महल बनाए l      महलों की सुंदर नक्काशी     देख देख हृदय बहुत इतराए l    पेड़ों को भी हमने काटा    वन्य ...

×