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विधा : ग़ज़ल जब मिलता महबूब किस्मत का, गुल खिलता रस्में उल्फ़त का। कर ना पाता इज़हार ए दिल, कब छुपता दर्द मुहब्बत का। पी बैठे खारा सागर हम, कब मिटता ...